जगत शिरोमणी मन्दिर, आमेर

विरासत, वास्तुकला और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण लगभग 425 साल पुराना जगत शिरोमणि मंदिर आमेर जयपुर, राजस्थान, भारत में स्थित है। मीरा बाई और भगवान कृष्ण को समर्पित इस मंदिर को 'मीरा बाई मंदिर' भी कहा जाता है।

आमेर कस्बे के इतिहास में इस मंदिर का महत्वपूर्ण स्थान है। मंदिर का निर्माण सन 1599-1608 ई. के बीच अकबर के प्रधान सेनापति राजा मानसिंह प्रथम की पत्नी रानी कनकवती ने अपने असामयिक रूप से दिवंगत 14 बरस के युवा पुत्र जगत सिंह की स्मृति में करवाया था। सन् 1599 में इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ और 9 साल के बाद यह तीन मंजिला भव्य मंदिर वर्ष 1608 ईस्वी में बन कर तैयार हुआ। आमेर महल (किले) के नजदीक इस मंदिर में दो प्रवेश द्वार हैं। मुख्य प्रवेश द्वार तक आमेर शहर की मुख्य सड़क से पहुंचा जा सकता है। दूसरा द्वार आमेर महल की तरफ से है जो मंदिर के खुले प्रांगण के अंदर की ओर जाता है।

आमेर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक यह देवालय 17वीं शताब्दी के आरंभिक महामेरु शैली का सर्वोत्तम नमूना है जिस में एक गर्भगृह, बरोठा और मंडप है जिसके दोनों ओर उभरी हुई स्क्रीन वाल...आगे पढ़ें

विरासत, वास्तुकला और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण लगभग 425 साल पुराना जगत शिरोमणि मंदिर आमेर जयपुर, राजस्थान, भारत में स्थित है। मीरा बाई और भगवान कृष्ण को समर्पित इस मंदिर को 'मीरा बाई मंदिर' भी कहा जाता है।

आमेर कस्बे के इतिहास में इस मंदिर का महत्वपूर्ण स्थान है। मंदिर का निर्माण सन 1599-1608 ई. के बीच अकबर के प्रधान सेनापति राजा मानसिंह प्रथम की पत्नी रानी कनकवती ने अपने असामयिक रूप से दिवंगत 14 बरस के युवा पुत्र जगत सिंह की स्मृति में करवाया था। सन् 1599 में इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ और 9 साल के बाद यह तीन मंजिला भव्य मंदिर वर्ष 1608 ईस्वी में बन कर तैयार हुआ। आमेर महल (किले) के नजदीक इस मंदिर में दो प्रवेश द्वार हैं। मुख्य प्रवेश द्वार तक आमेर शहर की मुख्य सड़क से पहुंचा जा सकता है। दूसरा द्वार आमेर महल की तरफ से है जो मंदिर के खुले प्रांगण के अंदर की ओर जाता है।

आमेर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक यह देवालय 17वीं शताब्दी के आरंभिक महामेरु शैली का सर्वोत्तम नमूना है जिस में एक गर्भगृह, बरोठा और मंडप है जिसके दोनों ओर उभरी हुई स्क्रीन वाली खिड़की है, मंदिर एक ऊंचे अलंकृत अधिष्ठान पर खड़ा है, तीन मंजिला गर्भगृह शिखर से सुसज्जित है जो उरुश्रृंगों और कर्णश्रृंगों की क्रमिक पंक्तियों से सुशोभित है। मंडप दो मंजिला है जिसके दोनों ओर पार्श्व अनुप्रस्थ भाग हैं। ऊपरी मंजिल और छत की दीवारों पर मंदिर के सामने संगमरमर के गरुड़-मंडप है, जो भगवान विष्णु का वाहक है।

मंदिर के प्रवेश द्वार पर संगमरमर का तोरण (तोरण) है जिसके दोनों ओर हाथियों की मूर्ति है। तोरण वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। बताया. जाता है- यह तोरण द्वार मकराना के संगमरमर की एक ही शिला से बनाया गया था। इस तोरण में विभिन्न देवताओं की मूर्ति छवि को बारीकी से उकेरा गया है । इस मंदिर का निर्माण बेसर शैली में किया गया था। इस मंदिर में सफेद संगमरमर से बने भगवान विष्णु भी हैं।

इस मंदिर के बारे में एक दिलचस्प किम्वदंती यह है कि इस मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति वही मूर्ति है जिसकी पूजा 600 साल पहले चित्तौडगढ़ किले में मीरा बाई किया करती थीं। इस मूर्ति को मेवाड़ राज्य के साथ मुगल युद्ध के दौरान आमेर के शासकों द्वारा नष्ट होने से बचाया गया और सुरक्षित रूप से राजा मानसिंह द्वारा आमेर लाया गया।

Photographies by:
Statistics: Position
2433
Statistics: Rank
53092

नई टिप्पणी जोड़ें

Esta pregunta es para comprobar si usted es un visitante humano y prevenir envíos de spam automatizado.

Security
598267431Click/tap this sequence: 9619

Google street view

Where can you sleep near जगत शिरोमणी मन्दिर, आमेर ?

Booking.com
489.985 visits in total, 9.198 Points of interest, 404 Destinations, 34 visits today.