忠犬ハチ公

( हचिको )

Hachi:अकिता इनु, हाचिको नामक एक वफादार कुत्ते की सच्ची कहानी पर आधारित एक फिल्म है। यह १९८७ की फिल्म हाचिको की रीमेक है। यह लस्से हल्ल्स्त्रोम द्वारा निर्देशित है। इसे स्टेफन लिन्द्सेय ने लिखा है। मुख्य अभिनेता रिचर्ड गेरे, जोअन अल्लेन और सरह रोएमेर है। १३ जून २००९ को हाचि का प्रीमियर सिएटल अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव मे हुआ। भूखंड आधुनिक दिन में, युवा छात्रों से भरा एक वर्ग व्यक्तिगत नायकों के बारे में मौखिक प्रस्तुतिया दे रहे हैं। रॉनी नाम का एक लड़का ऊपर खड़ा होता है और अपने नाना के कुत्ते के बारे मे बोलने लगता है। उसका नाम हचिको था। कुछ साल पहले, एक अकिता पिल्ला संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए जापान से भेजा जाता है, पर उसका पिंजरा और सामान गाड़ी से गिर जाता है और वह प्रोफेसर पार्कर विल्सन को मिलता है। पार्कर तुरन्त कुत्ते से मोहित होते है। जब स्टेशन नियंत्रक कार्ल उसे अपने पास रखने के लिये मना करता है तो प्रोफेसर पार्कर विल्सन उसे एक रात के लिये अपने घर लेकर जाते है लेकिन उनकी पत्नी केट उसे रखना नही चाहती । अगले दिन पार्कर यह उम्मीद करता है कि ट्रेन स्टेशन से किसी ने सम्पर...आगे पढ़ें

Hachi:अकिता इनु, हाचिको नामक एक वफादार कुत्ते की सच्ची कहानी पर आधारित एक फिल्म है। यह १९८७ की फिल्म हाचिको की रीमेक है। यह लस्से हल्ल्स्त्रोम द्वारा निर्देशित है। इसे स्टेफन लिन्द्सेय ने लिखा है। मुख्य अभिनेता रिचर्ड गेरे, जोअन अल्लेन और सरह रोएमेर है। १३ जून २००९ को हाचि का प्रीमियर सिएटल अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव मे हुआ। भूखंड आधुनिक दिन में, युवा छात्रों से भरा एक वर्ग व्यक्तिगत नायकों के बारे में मौखिक प्रस्तुतिया दे रहे हैं। रॉनी नाम का एक लड़का ऊपर खड़ा होता है और अपने नाना के कुत्ते के बारे मे बोलने लगता है। उसका नाम हचिको था। कुछ साल पहले, एक अकिता पिल्ला संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए जापान से भेजा जाता है, पर उसका पिंजरा और सामान गाड़ी से गिर जाता है और वह प्रोफेसर पार्कर विल्सन को मिलता है। पार्कर तुरन्त कुत्ते से मोहित होते है। जब स्टेशन नियंत्रक कार्ल उसे अपने पास रखने के लिये मना करता है तो प्रोफेसर पार्कर विल्सन उसे एक रात के लिये अपने घर लेकर जाते है लेकिन उनकी पत्नी केट उसे रखना नही चाहती । अगले दिन पार्कर यह उम्मीद करता है कि ट्रेन स्टेशन से किसी ने सम्पर्क किया होगा, लेकिन कोई नही करता है। वह उसे अपने साथ लेकर जाते है और एक जापानी प्रोफेसर केन उसके गले मे जो प्रतीक होता है उसे तब्दील करते है और बताते है कि उस पर "हाचि" लिखा है जो अच्छे भाग्य का प्रतीक है। पार्कर उसे हाचि बुलाने का फैसला करता है। केन कहता है कि हाचि और पार्कर को एक दूसरे के साथ ही रहना चाहिए । पार्कर हाचि के साथ खेलना चहता था लेकिन हाचि दूसरे कुत्तो कि तरह नही खेलता था। इसी बीच केत (पार्कर की पत्नी) को एक फोन आता है और फोन पर वे कहते है कि वे हाचि को गोद लेना चाहते है। हाचि को अपने पती के इतने करीब देखकर केत कहती है कि हाचि को पहले ही गोद ले लिया गया है। कुछ सालो के बाद हाचि और पार्कर और भी करीब आ जाते है। फिर भी पार्कर के मन मे यह सवाल रहता है कि हाचि दूसरे कुत्तो कि तरह क्यो नही बर्ताव करता है। केन उनसे कहता है कि हाचि सिर्फ खास दिनो पर ऐसा बर्ताव करेगा। एक दिन सुबह जब पार्कर काम के लिये निकलता है तब हाचि पार्कर के पीछे पीछे स्तेशन तक चला जाता है और पार्कर उसे फिर घर तक छोड़ता है। फिर दोपहर को हाचि घर से निकल जाता है और स्टेशन जा कर पार्कर का इन्त्ज़ार करता है। उस दिन से रोज़ हाचि सुबह और शाम स्टेशन जाता हैं पर एक दिन हाचि पार्कर को जाने नही देता है। उसे रोकने की कोशिश करता है। पर पार्कर नही रुकता है और चला जाता है। हाचि उनके पीछे स्तेशन तक जाता है और आज वह पार्कर के साथ खेलने लगता है पर पार्कर नही रुकता है और काम के लिये चला जाता है। उसी दिन पार्कर कि मृत्यु हो जाती है। स्टेशन पर हाचि सावदान से पार्कर का इंतजार करता है पर पार्कर का कोई अता पता नही। हाचि वही बर्फ पर रह कर पार्कर का इंतजार करने लगता है। तब ही रोनी सबलेत (पार्कर का जमाई) आ कर हाचि को ले जाता है। अगले दिन हाचि फिर स्टेशन पर जाता है और पार्कर का इंतजार करने लगता है। कुछ समय बीतने पर केत अपने घर को बेच देती है और हाचि को आन्दी के पास भेज देती है। हाचि वहा से भाग कर स्टेशन पर चला जाता है। आन्दी उसे घर लेकर आती है और फिर हाचि को छोड़ देती है। हाचि उसी स्टेशन पर वापस जाता है और पार्कर का इंतजार करता है। नौ साल अपने मृत गुरु के लिये ईमानदारी से इंतजार करने के बाद हाचि, जो की अब अपने बुढ़ापे की वजह से थक चुका था, लंगड़ाता हुआ रेलवे स्टेशन पहुँचता है और उसी जगह जाता है जहा वो हर बार अपने गुरु के लिये रोज ईमानदारी से इंतजार करता था। उसी ठंडी बर्फीली रात जब लोग स्टेशन से बाहर निकल रहे थे हाची अपने गुरु के साथ अपने जीवन मे बिताये गये कुछ खुशहाल क्षण याद करता है। हाची की आखरी स्मृति उसके गुरु पार्कर की थी जब पार्कर स्टेशन से बाहर निकलकर हाची को प्यार से गले लगाता था। चलचित्र में, इसके बाद रौनी को अपने कक्षा में दर्शाया जाता है, जहां वो हाची की कहानी अपने सहपाठियों को सुनाते हुए यह कहता है कि हाची हमेशा उसका "हीरो" रहेगा। इस प्यार भरी कहानी को सुनकर रौनी के दोस्त भावुक हो जाते है, जिनमें से कुछ अपने आंसू को दबाते हुए नज़र आते है जो पहले इस विषय पर हँस रहें थे। स्कूल के बाद जब रौनी स्कूल बस से उतरता है तब वहा उसे अपना पिता और पालतू कुत्ता (जिसका नाम भी हाची था), दिखायी देते है। रौनी और हाची उसी रास्ते से गुजरते है जहां पार्कर और हाची अक्सर समय बिताया करते थे। अन्त मे हमे यह जानकारी मिलती है कि वास्तव में हाचिको का जनम सन्न १९२३ को 'ओडेट्' मे हुआ था। उस्के गुरु, Hidesaburo Ueno, के १९२५ मे मृत्यु के बाद हाची अगले दिन और अगले नौ सालो मे हर दिन शिबुया रेलवे स्टेशन लौटता है इस इच्छा के साथ कि वो अपने गुरु को देख पाए। हाची को अपने गुरु के प्रति उनके उल्लेखनीय वफादारी के लिए याद किया जाता है। हाची एक अकीता कुत्ता था जिसका जन्म 'ओडेट्' नामक खेत मे हुआ। हाचिको ८ मार्च १९३५ को निधन हो गया और टोक्यो के एक सड़क पर पाया गया था। हाची के मृत्यु का कारण टर्मिनल कान्सर था। हाची के शरीर के अवशेष जापान के राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय में रखा गया है।

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