Parliament of the United Kingdom

( यूनाइटेड किंगडम की संसद )

वृहत ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त अधिराज्य की संसद या ब्रिटिश संसद (अंग्रेज़ी: Parliament of the United Kingdom; पार्लियामेंट ऑफ़ दी यूनाइटेड किंगडम) युनाइटेड किंगडम की सर्वोच्च विधायी संस्था है। सम्पूर्ण ब्रिटिश प्रभुसत्तात् प्रदेश में वैधिक नियमों को बनाने, बदलने तथा लागु करने का संपूर्ण तथा सर्वोच्च विधिवत अधिकार केवल तथा केवल संसद के ही अधिकारक्षेत्र के व्यय पर विद्यमान है (संसदीय सार्वभौमिकता)। ब्रिटिश संसद एक द्विसदनीय विधायिका है अतः इसमें दो सदन मौजूद हैं, क्रमशः हाउस ऑफ लॉर्ड्स (प्रभु सदन) और हाउस ऑफ़ कॉमन्स (आम सदन)। हाउस ऑफ लॉर्ड्स में दो प्रकार के लोग शामिल है-लॉर्ड्स स्पिरित्च्वल और लॉर्ड्स टेम्परल। अक्तूबर २००९ में सर्वोच्च न्यायालय के उद्घाटन के पहले, हाउस ऑफ लॉर्ड्स की लॉ लॉर्ड्स नामक सदस्यों के माध्यम से एक न्यायिक भूमिका भी हुआ करती थी। लंदन में वेस्टमिनिस्टर पैलेस में दो सदनों अलग-अलग कक्षों में बैठीं हैं। ब्रिटिश संविधान और विधि में ब्रिटिश संप्रभु को भी ब्रिटिश संसद का हिस्सा माना ज...आगे पढ़ें

वृहत ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त अधिराज्य की संसद या ब्रिटिश संसद (अंग्रेज़ी: Parliament of the United Kingdom; पार्लियामेंट ऑफ़ दी यूनाइटेड किंगडम) युनाइटेड किंगडम की सर्वोच्च विधायी संस्था है। सम्पूर्ण ब्रिटिश प्रभुसत्तात् प्रदेश में वैधिक नियमों को बनाने, बदलने तथा लागु करने का संपूर्ण तथा सर्वोच्च विधिवत अधिकार केवल तथा केवल संसद के ही अधिकारक्षेत्र के व्यय पर विद्यमान है (संसदीय सार्वभौमिकता)। ब्रिटिश संसद एक द्विसदनीय विधायिका है अतः इसमें दो सदन मौजूद हैं, क्रमशः हाउस ऑफ लॉर्ड्स (प्रभु सदन) और हाउस ऑफ़ कॉमन्स (आम सदन)। हाउस ऑफ लॉर्ड्स में दो प्रकार के लोग शामिल है-लॉर्ड्स स्पिरित्च्वल और लॉर्ड्स टेम्परल। अक्तूबर २००९ में सर्वोच्च न्यायालय के उद्घाटन के पहले, हाउस ऑफ लॉर्ड्स की लॉ लॉर्ड्स नामक सदस्यों के माध्यम से एक न्यायिक भूमिका भी हुआ करती थी। लंदन में वेस्टमिनिस्टर पैलेस में दो सदनों अलग-अलग कक्षों में बैठीं हैं। ब्रिटिश संविधान और विधि में ब्रिटिश संप्रभु को भी ब्रिटिश संसद का हिस्सा माना जाता है, एवं विधिक रूप से, संसद की सभी शक्तियाँ, मैग्ना कार्टा के तहत, संप्रभु द्वारा ही निहित और अवक्रमित की गयी हैं। अतः ब्रिटिश संप्रभु का भी संसद में महत्वपूर्ण विधिक एवं पारंपरिक भूमिका है। संसद का गठन १७०७ में किया गया था। ब्रिटेन की संसद ने विश्व के कई लोकतंत्रों के लिए उदाहरण थी। इसलिए यह संसद "मदर ऑफ पार्लियामेन्ट" कही जाती है।

ब्रिटिश विधान-प्रक्रिया के अनुसार, संसद द्वारा पारित अधिनियमों को सांविधिक होने के लिए, ब्रिटिश संप्रभु की शाही स्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य होता है, जिसे स्वीकृत या अस्वीकृत करने के लिए वे सैधिन्तिक तौर पर पूणतः स्वतंत्र हैं, परंतु वास्तविक तौर पर अस्वीकृति की घटना अतिदुर्लभ है(पिछली ऐसी घटना 11 मार्च 1708 को हुई थी)। संप्रभु, प्रधानमंत्री की सलाह पर संसद भंग भी कर सकते हैं, लेकिन विधि सम्मत रूप से उनके पास, प्रधानमंत्री की सहमति के बिना भी संसद को भंग करने की शक्ति है। राजमुकुट के अन्य शाही शक्तियों, जिन्हें शाही परमाधिकार कहा जाता है, को संप्रभु, प्रधानमंत्री या मंत्रिमंडल की सलाह के बिना, अपने विवेक पर कर सकते हैं।

राज्य के प्रमुख और शासन-अधिकार के स्रोत, ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की यूनाइटेड किंगडम के एकादिदेव, पदविराजमान- राजा चार्ल्स तृतीय हैं। परंपरा के मुताबिक नरेश, हाउस ऑफ कॉमन्स(आमसदन) में बहुमत प्राप्त करने वाली पार्टी के नेता को ही प्रधानमन्त्री नियुक्त करते हैं, हालांकि सैद्धांतिक रूप से इस पद के लिए कोई भी ब्रिटिश नागरिक जो संसद सदस्य है, चाहे वह हाउस ऑफ लॉर्ड्स या कॉमन्स में से किसी भी एक सदन का सदस्य हो, इस पद पर नियुक्त होने का अधिकार रखता है, बशर्ते की उसके पास आमसदन का समर्थन हासिल हो। अतः, वर्तमान काल में ब्रिटेन में वास्तविक राजनीतिक शक्तियां प्रधानमंत्री और मंत्रिमण्डल के हाथों में होती है, जबकि अधिराट्, केवल एक पारंपरिक राष्ट्रप्रमुखीय पद है। ब्रिटिश राजनीतिक लहज़े में, संप्रभुता के वास्तविक कार्यवाहक को "ससंसद महाराज " कहा जाता है। तततिरिक्त, राजमुकुट की सारी कार्यकारी शक्तियों को संप्रभु, ऎतिहासिक परंपरानुसार, प्रधानमंत्री और अपनी मंत्रिमंडल की सलाह पर उपयोग करते हैं। तथा सार्वजनिक नीति में सम्राट की भूमिका औपचारिक कार्यों तक सीमित है।

इस सदन का विकास इंग्लैंड की संसद से हुआ, जिसने 13वीं और 14 वीं शताब्दी में विकसित होना शुरू किया था। यह 1707 में स्कॉटलैंड के साथ राजनीतिक विलय के बाद यह "ग्रेट ब्रिटेन की संसद" बन गया, तथा 19 वीं शताब्दी की शुरुआत में आयरलैंड के साथ राजनीतिक विलय के बाद इसने "ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संसद" का खिताब ग्रहण किया। "यूनाइटेड किंगडम" का उल्लेख यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड के रूप में 1800 से किया गया था, और 1922 में आयरिश मुक्त राज्य की स्वतंत्रता के बाद यह "ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड के यूनाइटेड किंगडम की संसद" बन गया। तदानुसार, संसद ने अपना वर्तमान नाम ग्रहण कर लिया।

 वेस्टमिंस्टर महल का 1834 में आग लगने से पहले का चित्रण

संसद के निचले सदन के प्रति मंत्रालयिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत 19 वीं शताब्दी तक विकसित नहीं हुआ था, तत्कारणवश हाउस ऑफ लॉर्ड्स सैद्धान्तिक और व्यावहारिक दोनों ही दृष्टिकोण से हाउस ऑफ कॉमन्स से अधिक प्रभुतापूर्ण था। हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्यों (सांसदों) को एक पुरातन चुनावी प्रणाली द्वारा चुना जाता था, जिसके तहत उनका चयन अलग-अलग आकार के निर्वाचन क्षेत्रों द्वारा होता था। परिणामस्वरूप, सात मतदाताओं वाला ओल्ड सरुम बोर, दो सदस्यों का चुनाव कर सकता था और डंकन बोरो, जो भूमि के कटाव के कारण, उस समय तक लगभग पूरी तरह से समुद्र में समा चूका था वह भी दो सांसदों का चुनाव कर सकता था। कई छोटे निर्वाचन क्षेत्र, जिन्हें रॉटेन बरो (सड़े हुए बरो) के नाम से जाना जाता है, को हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य नियंत्रित किया करते थे, जो अपने अपने प्रभाव के बलबूते पर उन सीटों पर अपने रिश्तेदारों या समर्थकों का चुनाव सुनिश्चित कर सकते थे। 19 वीं सदी के सुधार के दौरान, रिफॉर्म एक्ट, 1832 (सुधार अधिनियम) के साथ शुरुआत करते हुए, हाउस ऑफ़ कॉमन्स की चुनावी प्रणाली को नियमित रूप से प्रगतिशील बनाया गया। इसके बाद से सांसद और भी अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली होने लगे, एवं अपने अधिकारों को लेकर अधिक मुखर हुए।

1909 में, कॉमन्स ने तथाकथित "पीपुल्स बजट" पारित किया, जिसने ब्रिटेन की कराधान प्रणाली में कई बदलाव किए जो धनवान ज़मींदारों के लिए हानिकारक थे। हाउस ऑफ लॉर्ड्स, जिसमें ज्यादातर सदस्य शक्तिशाली जमींदार और सामंतवाद थे, ने बजट को अस्वीकार कर दिया। उस बजट की लोकप्रियता और लॉर्ड्स के इस व्यवहार के परिणामस्वरूप आयी लॉर्ड्स की अलोकप्रियता के आधार पर, उदारवादी विचारधारा के लिबरल पार्टी ने 1910 में दो आम चुनाव जीत लिए।

पीपल्स बजट के आधार पर आए इस चुनाव को लोकप्रिय जनादेश मानते हुए, तत्कालीन लिबरल प्रधानमंत्री, लॉर्ड अक्विथ ने पार्लियामेंट विधेयक पेश किया, जिसमें हाउस ऑफ लॉर्ड्स की शक्तियों को प्रतिबंधित करने की मांग की गई थी, उन्होंने पीपुल्स बजट के भूमि कर प्रावधान को फिर से प्रस्तुत नहीं किया। जब लॉर्ड्स ने विधेयक को पारित करने से इनकार कर दिया, तो एसक्विथ ने 1910 के दूसरे आम चुनाव से पहले गुप्त रूप से राजा द्वारा प्राप्त किए गए वादे के हवाले लॉर्ड्स के कई सदस्यों को लिबरल समर्थक बनाने की पहल शुरू कर दी, ताकि हाउस ऑफ लॉर्ड्स में कंजर्वेटिव बहुमत को मिटाया जा सके। इस भय के मद्देनज़र, हाउस ऑफ लॉर्ड्स ने बिल को पारित कर दिया। इस तरह 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स की सर्वोच्चता पुनःस्थापित हुई।

यह विधेयक, जो पार्लियामेंट अधिनियम 1911 के रूप में सदन में पेश हुआ, ने लॉर्ड्स को किसी भी वित्तीय विधेयक (कराधान संबंधित विधेयक) को रोकने से प्रतिबंधित कर दिया, साथ ही, किसी भी अन्य अधिकतम को तीन सत्रों से अधिक देर तक टालने से भी रोक दिया (1949 घटा क्र दो स्तर)। इस अधिनियम के कारण किसी विधेयक को निर्धारित अवधि से अधिक टालने पर वह उनकी आपत्तियों के बावजूद स्वचालित रूप से पारित होजाएगा। बहरहाल, 1911 और 1949 के अधिनियमों के बावजूद, हाउस ऑफ लॉर्ड्स के पास किसी भी ऐसे विधेयक को, जो संसद के कार्यकाल का विस्तार करने का प्रयास करे, को एकमुश्त रूपसे वीटो करने की अप्रतिबंधित शक्ति बरकरार है।[1]

"The Parliament Acts". Parliament of the United Kingdom. मूल से 5 नवंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 May 2013.
Photographies by:
DaniKauf - CC BY-SA 3.0
Sean MacEntee from Monaghan, Ireland - CC BY 2.0
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