विक्टोरिया जलप्रपात जिसे स्थानिय भाषा मे मोसी-ओआ-तुन्या (Mosi-oa-Tunya) कहॉ जाता है अफ़्रीका की जेम्बेजी नदी पर स्थित एक जल प्रपात है। इस जलप्रपात को विश्व के सात प्राकृतिक आश्चर्यो मे से एक माना जाता है।
शानदार जलप्रपातों में से यह प्रपात दूसरे नम्बर पर रखा जाता है। इस जलप्रपात का अफ़्रीकी नाम 'मोसी- ओआ-तुन्या' है, अर्थात 'धुआँ जो गरजे'।विक्टोरिया फॉल्स को इस धरती पर गिरते पानी का सबसे चौड़ा प्रपात (सबसे चौड़ा पानी का परदा) कहा जाता है। इसकी चौड़ाई सत्रह सौ मीटर है। दुनियाभर से लोगों के यहां सालभर आने के बाद भी इस जगह के जादू में कोई कमी नहीं आई है। वाटरफॉल्स से बनने वाला कुहासा बीस किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता है। इसी तरह उसकी गर्जना भी बहुत दूर से सुनी जा सकती है। सौ मीटर नीचे पानी के गिरने से बाद उठने वाली बौछारें काफी हद तक उस इलाके में मौजूद रेनफॉरेस्ट को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं। नजारा तब और खूबसूरत हो उठता है जब अलग- अलग कोण से इंद्रधनुष पानी के ऊपर देखने को मिलते हैं। यह दक्षिणी अफ्रीका के सबसे पसंदीदा पर्यटक स्थलों में से एक है। नवंबर 1855 में यहां पहुंचने...आगे पढ़ें
विक्टोरिया जलप्रपात जिसे स्थानिय भाषा मे मोसी-ओआ-तुन्या (Mosi-oa-Tunya) कहॉ जाता है अफ़्रीका की जेम्बेजी नदी पर स्थित एक जल प्रपात है। इस जलप्रपात को विश्व के सात प्राकृतिक आश्चर्यो मे से एक माना जाता है।
शानदार जलप्रपातों में से यह प्रपात दूसरे नम्बर पर रखा जाता है। इस जलप्रपात का अफ़्रीकी नाम 'मोसी- ओआ-तुन्या' है, अर्थात 'धुआँ जो गरजे'।विक्टोरिया फॉल्स को इस धरती पर गिरते पानी का सबसे चौड़ा प्रपात (सबसे चौड़ा पानी का परदा) कहा जाता है। इसकी चौड़ाई सत्रह सौ मीटर है। दुनियाभर से लोगों के यहां सालभर आने के बाद भी इस जगह के जादू में कोई कमी नहीं आई है। वाटरफॉल्स से बनने वाला कुहासा बीस किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता है। इसी तरह उसकी गर्जना भी बहुत दूर से सुनी जा सकती है। सौ मीटर नीचे पानी के गिरने से बाद उठने वाली बौछारें काफी हद तक उस इलाके में मौजूद रेनफॉरेस्ट को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं। नजारा तब और खूबसूरत हो उठता है जब अलग- अलग कोण से इंद्रधनुष पानी के ऊपर देखने को मिलते हैं। यह दक्षिणी अफ्रीका के सबसे पसंदीदा पर्यटक स्थलों में से एक है। नवंबर 1855 में यहां पहुंचने वाले पहले विदेशी डेविड लिंगस्टोन थे। उन्होंने ब्रिटेन की महारानी के नाम पर इस फॉल्स का नाम रखा। चार साल पहले गरजने वाले धुंए के बारे में सुनकर उन्होंने इसकी खोज शुरू की थी।
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