की गोम्पा
की गोम्पा (की मठ, की मोनेस्ट्री अंग्रेजी:KYE) हिमाचल प्रदेश की लाहौल स्पीति जिले में काजा से 13 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मठ की स्थापना 13वीं शताब्दी में हुई थी। यह स्पीती क्षेत्र का सबसे बड़ा मठ है। यह मठ दूर से लेह में स्थित थिकसे मठ जैसा लगता है। यह मठ समुद्र तल से 13504 फीट की ऊंचाई पर एक शंक्वाकार चट्टान पर निर्मित है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इसे रिंगछेन संगपो ने बनवाया था। यह मठ महायान बौद्ध के जेलूपा संप्रदाय से संबंधित है। इस मठ पर 19वीं शताब्दी में सिखों तथा डोगरा राजाओं ने आक्रमण भी किया था। इसके अलावा यह 1975 ई. में आए भूकम्प में भी सुरक्षित रहा। इस मठ में कुछ प्राचीन हस्तलिपियों तथा थंगकस का संग्रह है। इसके अलावा यहां कुछ हथियार भी रखे हुए हैं। यहां प्रत्येक वर्ष जून-जुलाई महीने में 'चाम उत्सव' मनाया जाता है।
सन् २००० के कालचक्र अभिषेक का आयोजन इस मठ में किया गया था जिसमें स्वयं दलाई लामा द्वारा पूजा अर्चना की गई।
यहां तक पहुंचने के लिए प्राइवेट गाड़ी या बाइक से जाना पड़ेगा क्योंकि यहां तक जाने के लिए फिलहाल कोई बस सुविधा उपलब्ध नहीं ह...आगे पढ़ें
की गोम्पा (की मठ, की मोनेस्ट्री अंग्रेजी:KYE) हिमाचल प्रदेश की लाहौल स्पीति जिले में काजा से 13 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मठ की स्थापना 13वीं शताब्दी में हुई थी। यह स्पीती क्षेत्र का सबसे बड़ा मठ है। यह मठ दूर से लेह में स्थित थिकसे मठ जैसा लगता है। यह मठ समुद्र तल से 13504 फीट की ऊंचाई पर एक शंक्वाकार चट्टान पर निर्मित है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इसे रिंगछेन संगपो ने बनवाया था। यह मठ महायान बौद्ध के जेलूपा संप्रदाय से संबंधित है। इस मठ पर 19वीं शताब्दी में सिखों तथा डोगरा राजाओं ने आक्रमण भी किया था। इसके अलावा यह 1975 ई. में आए भूकम्प में भी सुरक्षित रहा। इस मठ में कुछ प्राचीन हस्तलिपियों तथा थंगकस का संग्रह है। इसके अलावा यहां कुछ हथियार भी रखे हुए हैं। यहां प्रत्येक वर्ष जून-जुलाई महीने में 'चाम उत्सव' मनाया जाता है।
सन् २००० के कालचक्र अभिषेक का आयोजन इस मठ में किया गया था जिसमें स्वयं दलाई लामा द्वारा पूजा अर्चना की गई।
यहां तक पहुंचने के लिए प्राइवेट गाड़ी या बाइक से जाना पड़ेगा क्योंकि यहां तक जाने के लिए फिलहाल कोई बस सुविधा उपलब्ध नहीं है।
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