गैलापागोस द्वीप समूह (आधिकारिक नाम: Archipiélago de Colón; अन्य स्पेनिश नाम: Islas de Colón या Islas Galápagos) प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा के आसपास फैले ज्वालामुखी द्वीपों का एक द्वीपसमूह है, जो महाद्वीपीय ईक्वाडोर के 972 किमी पश्चिम में स्थित है। यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है: वन्यजीवन इसकी सबसे प्रमुख विशेषता है।
गैलापागोस द्वीप समूह ईक्वाडोर के गैलापागोस प्रांत का निर्माण करते हैं साथ ही यह देश की राष्ट्रीय उद्यान प्रणाली का हिस्सा हैं। इस द्वीप की प्रमुख भाषा स्पेनिश है। इस द्वीपों की जनसंख्या 40000 के आसपास है, जिसमें पिछले 50 वर्षों में 40 गुना वृद्धि हुई है।
भौगोलिक रूप से यह द्वीपसमूह नये हैं और स्थानीय प्रजातियों की अपनी विशाल संख्या के लिए प्रसिद्ध है, जिनका चार्ल्स डार्विन ने अपने बीगल के खोजी अभियान के दौरान अध्ययन किया था। उनकी टिप्पणियों और संग्रह ने डार्विन के प्राकृतिक चयन द्वारा क्रम-विकास (एवोल्यूशन) के सिद्धांत के प्रतिपादन में योगदान दिया।
विश्व के नये सात आश्चर्य फाउंडेशन द्वारा गैलापागोस द्वीपसमूह को प्रकृति के सात नए आश्चर...आगे पढ़ें
गैलापागोस द्वीप समूह (आधिकारिक नाम: Archipiélago de Colón; अन्य स्पेनिश नाम: Islas de Colón या Islas Galápagos) प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा के आसपास फैले ज्वालामुखी द्वीपों का एक द्वीपसमूह है, जो महाद्वीपीय ईक्वाडोर के 972 किमी पश्चिम में स्थित है। यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है: वन्यजीवन इसकी सबसे प्रमुख विशेषता है।
गैलापागोस द्वीप समूह ईक्वाडोर के गैलापागोस प्रांत का निर्माण करते हैं साथ ही यह देश की राष्ट्रीय उद्यान प्रणाली का हिस्सा हैं। इस द्वीप की प्रमुख भाषा स्पेनिश है। इस द्वीपों की जनसंख्या 40000 के आसपास है, जिसमें पिछले 50 वर्षों में 40 गुना वृद्धि हुई है।
भौगोलिक रूप से यह द्वीपसमूह नये हैं और स्थानीय प्रजातियों की अपनी विशाल संख्या के लिए प्रसिद्ध है, जिनका चार्ल्स डार्विन ने अपने बीगल के खोजी अभियान के दौरान अध्ययन किया था। उनकी टिप्पणियों और संग्रह ने डार्विन के प्राकृतिक चयन द्वारा क्रम-विकास (एवोल्यूशन) के सिद्धांत के प्रतिपादन में योगदान दिया।
विश्व के नये सात आश्चर्य फाउंडेशन द्वारा गैलापागोस द्वीपसमूह को प्रकृति के सात नए आश्चर्यों में से एक के लिए एक उम्मीदवार के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। फ़रवरी 2009 तक द्वीप की श्रेणी, समूह बी में द्वीपसमूह की वरीयता प्रथम थी।
गैलापागोस द्वीप समूह की खोज संयोग से 10 मार्च 1535, को उस समय हुई थी, जब धार्मिक डोमिनिकन फ्रे टॉमस डी बर्लंगा जो उस समय पनामा के बिशप थे, का जहाज एक समुद्री तूफान में भटक कर इन द्वीपों तक आ पहुँचा था। बिशप उस समय स्पेन के राजा चार्ल्स पंचम के आदेश पर इंका साम्राज्य की विजय के बाद, फ्रांसिस्को पिज़ारो और उसके मातहतों के बाच उपजे एक विवाद के समाधान के लिए पेरु की यात्रा पर जा रहे थे। थॉर हेयरडाह्ल और अर्नि स्कॉल्सवोल्ड के 1952 के अपने एक अध्ययन में द्वीप पर कई वस्तुओं और अवशेषों को इन द्वीपों पर ढूंढ़ा जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि स्पेनिशों के आने से बहुत पहले से ही दक्षिण अमेरिका के मूल निवासी इन द्वीपों पर आते रहते थे।
यह द्वीप सबसे पहले 1570 में अब्राहम ओर्टेलियस और मर्काटॉर द्वारा बनाए गये नक्शों में अवतरित हुये। इन द्वीपों को "Insulae de los Galopegos" (कछुए के द्वीप) का नाम दिया गया।
रिचर्ड हॉकिंस, 1593 में गैलापागोस द्वीप समूह की यात्रा करने वाला पहला अंग्रेजी कप्तान था। शुरुआती 19 वीं शताब्दी तक इस द्वीपसमूह का प्रयोग अंग्रेज जलदस्युओं द्वारा एक ठिकाने के रूप में किया जाता था, जो अक्सर सोने और चांदी से भरे दक्षिण अमेरिका से स्पेन जाने वाले स्पेनिश जहाजों (गैलियन) को लूट लेते थे।
अलेक्जेंडर सेल्कर्क, जिसके जुऑन फर्नांडीस द्वीपसमूह में किए गये साहसिक कारनामों ने डैनियल डेफॉ को रोबिंसन क्रुसो लिखने के लिए प्रेरित किया ने गैलापागोस द्वीपों की यात्रा 1708 में की थी जब उसे रोजर्स वुडस नामक एक जहाजी ने जुऑन फर्नांडीस से उठाया था। रोजर्स, गुआयाकिल को हटाने के बाद द्वीप में अपने जहाज की मरम्मत कर रहा था।
गैलापागोस पर पहला वैज्ञानिक अभियान 1790 में अलेसान्द्रो मालास्पिना के नेतृत्व में आया था। मालास्पिना एक सिसिलियन कप्तान था जिसका अभियान स्पेन के राजा द्वारा प्रायोजित था, हालांकि, अब इस अभियान का कोई लिखित दस्तावेज उपलब्ध नहीं है।
1793 में, जेम्स कॉल्नेट ने गैलापागोस की वनस्पतियों और जीवों का वर्णन किया और सुझाव दिया कि इन द्वीपों को प्रशांत महासागर में व्हेल-शिकारी पोतों के परिचालन के लिए एक आधार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उसने द्वीपों का पहला सटीक नेविगेशन चार्ट भी बनाया। व्हेल-शिकारियों ने हजारों गैलापागोस कछुओं को उनकी वसा निकालने के लिए पकड़ कर मार डाला। व्हेल-शिकारी इन कछुओं को जहाज पर ताजा प्रोटीन प्रदान करने वाले एक के साधन के तौर पर रखते थे, क्योंकि यह जानवर कई महीनों तक बिना खाये पिये जीवित रह सकता था। कछुओं का शिकार इनकी संख्या कम करने और कुछ मामलों में तो कुछ प्रजातियों को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार था। व्हेल-शिकारियों के साथ साथ फर-सील शिकारी भी आये जो जिनके सम्मिलित शिकार ने इस प्राणी को विलुप्तप्राय की श्रेणी में डाल दिया।
ईक्वाडोर ने 12 फ़रवरी 1832 में इस द्वीपसमूह पर कब्जा कर लिया और इसका नाम ईक्वाडोर का द्वीपसमूह रखा। गैलापागोस के पहले गवर्नर (राज्यपाल), जनरल जोस डे विल्लामिल ने कुछ सजायाफ्ता लोगों के एक समूह को पहले पहल फ्लोरियाना द्वीप पर बसाया, जल्द ही अक्टूबर 1832 में कुछ शिल्पकार और किसान भी इस द्वीप पर बसने आ गए।
15 सितम्बर 1835 को रॉबर्ट फिट्ज़रॉय की कप्तानी में सर्वेक्षण पोत एचएमएस बीगल गैलापागोस द्वीपों पर पहुँचा, पोत पर युवा प्रकृतिवादी चार्ल्स डार्विन भी थे। 20 अक्टूबर को अपने विश्व अभियान को जारी रखते हुए डार्विन ने इन द्वीपों से विदा ली पर इससे पहले उन्होने चैथम, चार्ल्स, अल्बेमार्ले और जेम्स द्वीपों पर अपने भूवैज्ञानिक और जीववैज्ञानिक अध्ययन का कार्य किया। डार्विन ने पाया कि हर द्वीप के मॉकिंगबर्ड जिसे अब डार्विन फिन्चेस के नाम से जाना जाता है एक दूसरे से अलग और असंबंधित थे और उन्होने इन्हें इनके मातृद्वीप के नाम के अनुसार नामित किया।[1] अंग्रेज निकोलस लॉसन, जो गैलापागोस के गवर्नर थे ने डार्विन से चार्ल्स द्वीप पर भेंट की थी और डार्विन को बताया था कि हर द्वीप पर एक अलग प्रकार का कछुआ पाया जाता है। इस यात्रा के अंत में डार्विन ने अनुमान लगाया कि मॉकिंगबर्ड और कछुओं का वितरण " प्रजाति की स्थिरता को कम कर "सकता है।[2] अपनी इंग्लैंड वापसी पर जब डार्विन ने पक्षियों के नमूनों का विश्लेषण किया तो पाया कि चाहें यह पक्षी प्रत्यक्ष रूप से अलग प्रतीत होते हैं पर यह सभी पक्षी सिर्फ इन्हीं द्वीपों पर पायी जाने वाली फिन्चेस की प्रजातियां थीं। इन तथ्यों के आधार पर डार्विन ने अपने क्रम-विकास से संबंधित, प्राकृतिक चयन के अपने सिद्धांत को अपनी पुस्तक “द ओरीजन ऑफ स्पीसीज़ (प्रजातिओं की उत्पत्ति)" में प्रस्तुत किया।[1]
सितम्बर 1904 से रोलो बेक के नेतृत्व में कैलिफोर्निया की विज्ञान अकादमी का पूरे एक वर्ष का अभियान गैलापागोस पर चला जिसमे, भूविज्ञान, कीटविज्ञान, पक्षीविज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान और उभयचरों से संबंधित वैज्ञानिक सामग्री इकट्ठा की गयी। 1932 में अकादमी के एक और अभियान (टेम्पलटन क्रोकर अभियान), में मछली, कीड़े, सीपी, जीवाश्म, पक्षियों और पौधों के नमूने एकत्र किए गये।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ईक्वाडोर ने संयुक्त राज्य अमेरिका को बाल्ट्रा द्वीप पर एक नौसेना बेस और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर रडार स्टेशन स्थापित करने के लिए के प्राधिकृत किया। इस समय बाल्ट्रा पर अमेरिकी एयर फोर्स का भी एक आधार स्थापित किया गया था। बाल्ट्रा में तैनात सैनिक यहाँ प्रशांत क्षेत्र में गश्त लगाकर दुश्मन की पनडुब्बियों पर नज़र रखते थे और पनामा नहर को सुरक्षा प्रदान करते थे। युद्ध के बाद इन सुविधाओं को ईक्वाडोर की सरकार को सौंप दिया गया। आज यह द्वीप एक आधिकारिक ईक्वाडोर सैन्य आधार है। अमेरिकी आधार के अवशेषों को आज भी देखा जा सकता है। 1946 में ईसाबेला द्वीप पर एक दंड कॉलोनी स्थापित की गयी, लेकिन 1959 में इसे खत्म कर दिया गया। गैलापागोस 1959 में एक राष्ट्रीय उद्यान बन गया और पर्यटन की शुरुआत 1960 के दशक में हुयी।
1979 में यूनेस्को ने गैलापागोस द्वीप समूह को विश्व धरोहर स्थल के रूप में और छह साल बाद, 1985 में एक आरक्षित जैवमंडल के रूप में मान्यता दी जिसके कारण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इन द्वीपों की ओर गया।
2007 में यूनेस्को ने इन द्वीपों को पर्यावरण खतरे में पड़े विश्व धरोहर स्थल घोषित किया और गैलापागोस द्वीपों को खतरे में पड़ी विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया।
↑ अ आ Niles Eldredge (Spring 2006). "VQR - Confessions of a Darwinist". The Virginia Quarterly Review. पपृ॰ 32–53. मूल से 24 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-26. ↑ Keynes, Richard ed. 2000. Charles Darwin's zoology notes & specimen lists from H.M.S. Beagle. Cambridge: Cambridge University Press. 23 – August 1836, 291–293 Archived 2011-05-23 at the वेबैक मशीन
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