Context of तुर्की

तुर्की (तुर्की भाषा: Türkiye, उच्चारण: तुर्किये) यूरेशिया में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी अंकारा है। इसकी मुख्य- और राजभाषा तुर्की भाषा है। ये संसार का अकेला मुस्लिम बहुमत वाला देश है जो कि धर्मनिर्पेक्ष है। ये एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। इसके एशियाई भाग को अनातोलिया और यूरोपीय अंश को थ्रेस कहते हैं।

स्थिति : 39 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 36 डिग्री पूर्वी देशान्तर। इसका कुछ भाग यूरोप में तथा अधिकांश भाग एशिया में पड़ता है अत: इसे यूरोप एवं एशिया के बीच का 'पुल' कहा जाता है। इजीयन सागर (Aegean sea) के पतले जलखंड के बीच में आ जाने से इस पुल के दो भाग हो जाते हैं, जिन्हें साधारणतया यूरोपीय टर्की तथा एशियाई टर्की कहते हैं। टर्की के ये दोनों भाग बॉसपोरस के जलडमरूमध्य, मारमारा सागर तथा डारडनेल्ज द्वारा एक दूसरे से अलग होते हैं।

टर्की गणतंत्र का कुल क्षेत्रफल 2,96,185 वर्ग मील है जिसमें यूरोपीय टर्की (पूर्वी थ्रैस) का क्षेत्रफल 9,068 वर्ग मील तथा एशियाई टर्की (ऐनाटोलिआ) का क्षेत्रफल 2,87,117 वर्ग मील है। इसके अंतर्गत 451 दलदली स्थल तथा 3,256 खारे पानी की झीलें...आगे पढ़ें

तुर्की (तुर्की भाषा: Türkiye, उच्चारण: तुर्किये) यूरेशिया में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी अंकारा है। इसकी मुख्य- और राजभाषा तुर्की भाषा है। ये संसार का अकेला मुस्लिम बहुमत वाला देश है जो कि धर्मनिर्पेक्ष है। ये एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। इसके एशियाई भाग को अनातोलिया और यूरोपीय अंश को थ्रेस कहते हैं।

स्थिति : 39 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 36 डिग्री पूर्वी देशान्तर। इसका कुछ भाग यूरोप में तथा अधिकांश भाग एशिया में पड़ता है अत: इसे यूरोप एवं एशिया के बीच का 'पुल' कहा जाता है। इजीयन सागर (Aegean sea) के पतले जलखंड के बीच में आ जाने से इस पुल के दो भाग हो जाते हैं, जिन्हें साधारणतया यूरोपीय टर्की तथा एशियाई टर्की कहते हैं। टर्की के ये दोनों भाग बॉसपोरस के जलडमरूमध्य, मारमारा सागर तथा डारडनेल्ज द्वारा एक दूसरे से अलग होते हैं।

टर्की गणतंत्र का कुल क्षेत्रफल 2,96,185 वर्ग मील है जिसमें यूरोपीय टर्की (पूर्वी थ्रैस) का क्षेत्रफल 9,068 वर्ग मील तथा एशियाई टर्की (ऐनाटोलिआ) का क्षेत्रफल 2,87,117 वर्ग मील है। इसके अंतर्गत 451 दलदली स्थल तथा 3,256 खारे पानी की झीलें हैं। पूर्व में रूस और ईरान, दक्षिण की ओर इराक, सीरिया तथा भूमध्यसागर, पश्चिम में ग्रीस और बुल्गारिया और उत्तर में कालासागर इसकी राजनीतिक सीमा निर्धारित करते हैं।

यूरोपीय टर्की - त्रिभुजाकर प्रायद्वीपी प्रदेश है जिसका शीर्षक पूर्व में बॉसपोरस के मुहाने पर है। उसके उत्तर तथा दक्षिण दोनों ओर पर्वतश्रेणियाँ फैली हुई हैं। मध्य में निचला मैदान मिलता है जिसमें होकर मारीत्सा और इरजिन नदियाँ बहती हैं। इसी भाग से होकर इस्तैस्म्यूल का संबंध पश्चिमी देशों से है।

एशियाई टर्की - इसको हम तीन प्राकृतिक भागों में विभाजित कर सकते हैं: 1. उत्तर में काला सागर के तट पर पॉण्टस पर्वत, 2. मध्य में ऐनाटोलिया ओर आरमीनिया के निचले भाग, 3. दक्षिण में टॉरस एवं ऐंटिटॉरस पर्वत जो भूमध्यसागर के तट तक विस्तृत हैं।

दोनों समुद्रों के तट पर मैदान की पतली पट्टियाँ मिलती हैं। पश्चिम में इजीयन तथा मारमारा सागरों के तट पर अपेक्षाकृत कम ऊँची पहाड़ियाँ मिलती हैं, जिससे मध्य के पठार तक आवागमन सुगम हो जाता है। उत्तर से दक्षिण की ओर आने पर काला सागर के तट पर सँकरा मैदान मिलता है जिससे एक से लेकर दो मील तक ऊँची पॉण्टस पर्वतश्रेणियाँ एकाएक उठती हुई दृष्टिगोचर होती हैं। इन पर्वतश्रेणियों को पार करने पर ऐनाटोलिया का विस्तृत पठार मिलता है। इसके दक्षिण टॉरस की ऊँची पर्वतश्रेणियाँ फैली हुई है और दक्षिण जाने पर भूमध्यसागरीय तट का निचला मैदान मिलता है। एनाटोलिया पठार में टर्की का एक तिहाई भाग सम्मिलित है।

More about तुर्की

Basic information
  • Native name Türkiye
  • Calling code +90
  • Internet domain .tr
  • Mains voltage 230V/50Hz
  • Democracy index 4.35
Population, Area & Driving side
  • Population 85372377
  • छेत्र 783562
  • Driving side right
इतिहास
  • तुर्की एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ मानव-जातियों के स्थानान्तरण तथा संघर्ष की प्रंमुखता रही है। ईसा से पूर्व यूनानी (आर्य) जातियों का बसाव और फिर स्थानान्तरण तथा ईसा के बाद सन् 800-1400 तक तुर्क जाति का प्रादुर्भाव इस भौगोलिक क्षेत्र की इतिहास की प्रमुख लिखित घटना है।

    होमर के ओडिसी में वर्णित ट्राय की लड़ाई तुर्की के पश्चिमी तट पर ट्रॉय के वासियों तथा यूनानी द्वीपों पर बसे साम्राज्यों के बीच हुई थी। इसका काल सन् 1200 ईसा पूर्व के आसपास माना जाता है। इसके पूर्व यही तट हिट्टी तथा फिनिक साम्राज्यों का भी स्थान रहा था। सन् 530 ईसापूर्व में ईरान के फ़ारसी साम्राज्य के अंतर्गत आया जो कई सालों तक यूनानियों द्वारा संघर्ष के कारण ग्रीक और ईरानी साम्राज्यों में बंटा रहा। सन् 330 ईसापूर्व में सिकंदर जब पूर्व की ओर विजय अभियान पर निकला तो यह प्रदेश भी यूनानी (मेसीडोनी) साम्राज्य के अंदर आ गया। सन् 24 के बाद से यह रोमन साम्राज्य का अंग बना रहा। सासानी और बाद में तुर्क जातियों के संगठनों ने पूर्वी रोमन साम्राज्य पर हमला कर इसके कई क्षेत्रों पर अधिकार बना लिया। तुर्क लोग धीरे-धीरे नौवीं सदी में इस क्षेत्र में बसते गए। सासानी साम्राज्य के अंत (सन् 635) के बाद पूर्वी तथा दक्षिणी तुर्की में इस्लाम का प्रचार हुआ। औगुज, सल्जूक़ और उस्मानी तुर्क सुन्नी इस्लाम में परिवर्तित हो गए।

    उस्मानी काल

    उस्मानी तुर्कों ने रोमन राजधानी इस्तांबुल पर भी अधिकार करने के कई प्रयास किए। सन् 1453 में वे इस्तांबुल को स्थाई रूप से विजयी करने में कामयाब रहे। इसके बाद इस्तांबुल एक मजबूत तुर्क साम्राज्य का केन्द्र बना जो सोलहवीं सदी में हंगरी से लेकर अरब देशों तक फैल गया। इस साम्राज्य ने यूरोप तथा ईरान के सफ़वियों से कई लड़ाईयाँ लड़ी। ईरानी शासकों ने बारुद का प्रयोग तुर्कों से ही सीखा - जिसके बाद बाबर जैसे आक्रांता (सफ़वी मदद लेकर) भारत पर बारुदी तोपों से लैश सेना लेकर आक्रमण कर सका। उस्मानी शासकों ने सोलहवीं सदी में मक्का और मदीना पर भी अधिकार कर लिया जिसकी वजह से वो इस्लाम के ख़लीफ़ा (प्रमुख) भी बन गए। लेकिन उत्तर और पूर्व के रूसी तथा दक्षिण-पूर्व के सफ़वी (ईरानी, शिया) शासकों से उनकी लड़ाई होती रही। ईरानी शासकों को तो उन्होंने उत्तर में बढ़ने से रोक दिया पर रूसियों के साथ क्रीमिया के युद्ध में (1853-54) में उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा।

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    तुर्की एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ मानव-जातियों के स्थानान्तरण तथा संघर्ष की प्रंमुखता रही है। ईसा से पूर्व यूनानी (आर्य) जातियों का बसाव और फिर स्थानान्तरण तथा ईसा के बाद सन् 800-1400 तक तुर्क जाति का प्रादुर्भाव इस भौगोलिक क्षेत्र की इतिहास की प्रमुख लिखित घटना है।

    होमर के ओडिसी में वर्णित ट्राय की लड़ाई तुर्की के पश्चिमी तट पर ट्रॉय के वासियों तथा यूनानी द्वीपों पर बसे साम्राज्यों के बीच हुई थी। इसका काल सन् 1200 ईसा पूर्व के आसपास माना जाता है। इसके पूर्व यही तट हिट्टी तथा फिनिक साम्राज्यों का भी स्थान रहा था। सन् 530 ईसापूर्व में ईरान के फ़ारसी साम्राज्य के अंतर्गत आया जो कई सालों तक यूनानियों द्वारा संघर्ष के कारण ग्रीक और ईरानी साम्राज्यों में बंटा रहा। सन् 330 ईसापूर्व में सिकंदर जब पूर्व की ओर विजय अभियान पर निकला तो यह प्रदेश भी यूनानी (मेसीडोनी) साम्राज्य के अंदर आ गया। सन् 24 के बाद से यह रोमन साम्राज्य का अंग बना रहा। सासानी और बाद में तुर्क जातियों के संगठनों ने पूर्वी रोमन साम्राज्य पर हमला कर इसके कई क्षेत्रों पर अधिकार बना लिया। तुर्क लोग धीरे-धीरे नौवीं सदी में इस क्षेत्र में बसते गए। सासानी साम्राज्य के अंत (सन् 635) के बाद पूर्वी तथा दक्षिणी तुर्की में इस्लाम का प्रचार हुआ। औगुज, सल्जूक़ और उस्मानी तुर्क सुन्नी इस्लाम में परिवर्तित हो गए।

    उस्मानी काल

    उस्मानी तुर्कों ने रोमन राजधानी इस्तांबुल पर भी अधिकार करने के कई प्रयास किए। सन् 1453 में वे इस्तांबुल को स्थाई रूप से विजयी करने में कामयाब रहे। इसके बाद इस्तांबुल एक मजबूत तुर्क साम्राज्य का केन्द्र बना जो सोलहवीं सदी में हंगरी से लेकर अरब देशों तक फैल गया। इस साम्राज्य ने यूरोप तथा ईरान के सफ़वियों से कई लड़ाईयाँ लड़ी। ईरानी शासकों ने बारुद का प्रयोग तुर्कों से ही सीखा - जिसके बाद बाबर जैसे आक्रांता (सफ़वी मदद लेकर) भारत पर बारुदी तोपों से लैश सेना लेकर आक्रमण कर सका। उस्मानी शासकों ने सोलहवीं सदी में मक्का और मदीना पर भी अधिकार कर लिया जिसकी वजह से वो इस्लाम के ख़लीफ़ा (प्रमुख) भी बन गए। लेकिन उत्तर और पूर्व के रूसी तथा दक्षिण-पूर्व के सफ़वी (ईरानी, शिया) शासकों से उनकी लड़ाई होती रही। ईरानी शासकों को तो उन्होंने उत्तर में बढ़ने से रोक दिया पर रूसियों के साथ क्रीमिया के युद्ध में (1853-54) में उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा।

    आधुनिक काल

    प्रथम विश्वयुद्ध में उस्मानी तुर्क जर्मनों के साथ थे। जर्मनों की हार और अरब में अंग्रेजों द्वारा खदेड़ दिए जाने के बाद उस्मानी साम्राज्य का अंत हो गया। इसके बाद मुस्तफ़ा कमाल पाशा ने लोकतंत्र का प्रचार और धर्मनिरपेक्ष प्रणाली की वकालत की जिसके फलस्वरूप तुर्की एक धर्मनिरपेक्ष देश बना। अरबी लिपि को त्याग कर यूरोपीय रोमन आधारित लिपि को अपनाया गया और शासन को धर्म से अलग किया गया।

    एक दृष्टि में तुर्की का आधुनिक इतिहासतुर्की को "यूरोप का मरीज" कहा जाता था। युवा तुर्क आन्दोलन की शुरुआत अब्दुल हमीद द्वितीय के शासनकाल में 1908 ई. में हुई। पान इस्लामिज्म का नारा अब्दुल हमीद द्वितीय ने दिया था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 10 अगस्त, 1920 ई. को तुर्की के साथ भीषण अपमानजनक सेब्र की संधि की गयी। मुस्तफा कमाल पाशा ने इसे मानने से इनकार कर दिया। आधुनिक तुर्की का निर्माता मुस्तफा कमाल पाशा को माना जाता है। इसे ‘अतातुर्क’ (तुर्की का पिता) के उपनाम से भी जाना जाता है। तुर्की में एकता और प्रगति समिति का गठन 1889 ई. में हुआ । प्रारम्भ में कमाल पाशा एकता और प्रगति समिति के प्रभाव में आया। एक सेनापति के रूप में कमाल पाशा ने गल्लीपोती युद्ध में शानदार सफलता हासिल की। इसके बाद 1919 ई. में कमाल पाशा ने सैनिक पद से इस्तीफा दे दिया। 1919 ई. के अखिल तुर्क काँग्रेस के प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता मुस्तफा कमाल पाशा ने की। 1923 ई. में तुर्की एवं यूनान के बीच में लोजान की संधि हुई। 23 अक्टूबर, 1923 ई. को तुर्की गणतंत्र की घोषणा हुई। 20 अप्रैल, 1924 ई. को तुर्की में नये संविधान की घोषणा हुई। तुर्की के नये गणतंत्र का राष्ट्रपति मुस्तफा कमाल पाशा बने। मुस्तफा कमाल पाशा द्वारा किये गये महत्वपूर्ण कार्य निम्न हैं :1924 ई. में तुर्की को धर्मनिरपेक्ष राज्य की घोषणा। कमाल पाशा ने तुर्की में 3 मार्च, 1924 ई. को खिलाफत को समाप्त कर दिया। ग्रेगोरियन कैलेडर का प्रचलन (26 दिसम्बर, 1925 ई. से लागू)। 25 नवम्बर, 1925 ई. को तुर्की में टोपी और औरतों को बुरका पहनने पर कानूनी प्रतिबंध लगाया गया। 1932 ई. में तुर्की भाषा परिषद की स्थापना। 1933 ई. में तुर्की में प्रथम पंचवर्षीय योजना का लागू होना। इस्ताम्बुल में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना। 1938 ई. में कमाल पाशा की मृत्यु हो गयी।
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