पाकिस्तान
Context of पाकिस्तान
इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान (उर्दू: اسلامی جمہوریہ پاکستان) या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 21 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का पाँचवी बड़ी आबादी वाला देश है। पाकिस्तान में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है। यह 8,81,913 वर्ग किलोमीटर (3,40,509 वर्ग मील) क्षेत्र में फैला 33 वाँ सबसे बड़ा देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हिंदी हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा। कबाइली इलाके और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा आजाद कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं।
पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इकबाल ने द्विराष्ट्र सिद्धांत का जिक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब त...आगे पढ़ें
इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान (उर्दू: اسلامی جمہوریہ پاکستان) या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 21 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का पाँचवी बड़ी आबादी वाला देश है। पाकिस्तान में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है। यह 8,81,913 वर्ग किलोमीटर (3,40,509 वर्ग मील) क्षेत्र में फैला 33 वाँ सबसे बड़ा देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हिंदी हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा। कबाइली इलाके और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा आजाद कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं।
पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इकबाल ने द्विराष्ट्र सिद्धांत का जिक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफगान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिंध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बँटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसंबर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया।
More about पाकिस्तान
- Currency पाकिस्तानी रुपया
- Calling code +92
- Internet domain .pk
- Mains voltage 230V/50Hz
- Democracy index 4.31
- Population 223773700
- छेत्र 881913
- Driving side left
आज के पाकिस्तानी भूभाग का मानवीय इतिहास कम से कम 5000 वर्ष पुराना है,[1] यद्यपि इतिहास पाकिस्तान शब्द का जन्म सन् 1933 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली के द्वारा हुआ। आज का पाकिस्तानी भूभाग कई संस्कृतियों का गवाह रहा है।
ईसापूर्व 3300-1800 के बीच यहाँ सिंधु घाटी सभ्यता का विकास हुआ। यह विश्व की चार प्राचीन ताम्र-कांस्यकालीन सभ्यताओं में से एक थी। इसका क्षेत्र सिंधु नदी के किनारे अवस्थित था पर गुजरात (भारत) और राजस्थान में भी इस सभ्यता के अवशेष पाए गए हैं। मोहनजोदड़ो, हड़प्पा इत्यादि स्थल पाकिस्तान में इस सभ्यता के प्रमुख अवशेष-स्थल हैं। इस सभ्यता के लोग कौन थे इसके बारे में विद्वानों में मतैक्य नहीं है। कुछ इसे आर्यों की पूर्ववर्ती शाखा कहते हैं तो कुछ इसे द्रविड़। कुछ इसे बलोची भी ठहराते हैं। इस मतभेद का एक कारण सिंधु-घाटी सभ्यता की लिपि का नहीं पढ़ा जाना भी है।
ऐसा माना जाता है कि 1500 ईसापूर्व के आसपास आर्यों का आगमन पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों के मार्फत भारत में हुआ। आर्यों का निवास स्थान कैस्पियन सागर के पूर्वी तथा उत्तरी हिस्सों में माना जाता है जहाँ से वे इसी समय के करीब ईरान, यूरोप और भारत की ओर चले गए थे। सन् 543 ईसापूर्व में पाकिस्तान का अधिकांश इलाका ईरान (फारस) के हखामनी साम्राज्य के अधीन आ गया। लेकिन उस समय इस्लाम का उदय नहीं हुआ था; ईरान के लोग जरदोश्त के अनुयायी थे और देवताओं की पूजा करते थे। सन् 330 ईसापूर्व में मकदूनिया (यूनान) के विजेता सिकंदर ने दारा तृतीय को तीन बार हराकर हखामनी वंश का अंत कर दिया। इसके कारण मिस्र से पाकिस्तान तक फैले हखामनी साम्राज्य का पतन हो गया और सिकंदर पंजाब तक आ गया। ग्रीक स्रोतों के मुताबिक उसने सिंधु नदी के तट पर भारतीय राजा पुरु (ग्रीक - पोरस) को हरा दिया। पर उसकी सेना ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया और वह भारत में प्रवेश किये बिना वापस लौट गया। इसके बाद उत्तरी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में यूनानी-बैक्ट्रियन सभ्यता का विकास हुआ। सिकंदर के साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बाँट लिया। सेल्युकस निकेटर सिकंदर के सबसे शक्तिशाली उत्तराधिकारियों में से एक था।
मौर्यों ने 300 ईसापूर्व के आसपास पाकिस्तान को अपने साम्राज्य के अधीन कर लिया। इसके बाद पुनः यह ग्रीको-बैक्ट्रियन शासन में चला गया। इन शासकों में सबसे प्रमुख मिनांदर ने बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया। पार्थियनों के पतन के बाद यह फारसी प्रभाव से मुक्त हुआ। सिंध के राय राजवंश (सन् 489-632) ने इसपर शासन किया। इसके बाद यह उत्तर भारत के गुप्त और फारस के सासानी साम्राज्य के बीच बँटा रहा।
...आगे पढ़ेंआज के पाकिस्तानी भूभाग का मानवीय इतिहास कम से कम 5000 वर्ष पुराना है,[1] यद्यपि इतिहास पाकिस्तान शब्द का जन्म सन् 1933 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली के द्वारा हुआ। आज का पाकिस्तानी भूभाग कई संस्कृतियों का गवाह रहा है।
ईसापूर्व 3300-1800 के बीच यहाँ सिंधु घाटी सभ्यता का विकास हुआ। यह विश्व की चार प्राचीन ताम्र-कांस्यकालीन सभ्यताओं में से एक थी। इसका क्षेत्र सिंधु नदी के किनारे अवस्थित था पर गुजरात (भारत) और राजस्थान में भी इस सभ्यता के अवशेष पाए गए हैं। मोहनजोदड़ो, हड़प्पा इत्यादि स्थल पाकिस्तान में इस सभ्यता के प्रमुख अवशेष-स्थल हैं। इस सभ्यता के लोग कौन थे इसके बारे में विद्वानों में मतैक्य नहीं है। कुछ इसे आर्यों की पूर्ववर्ती शाखा कहते हैं तो कुछ इसे द्रविड़। कुछ इसे बलोची भी ठहराते हैं। इस मतभेद का एक कारण सिंधु-घाटी सभ्यता की लिपि का नहीं पढ़ा जाना भी है।
ऐसा माना जाता है कि 1500 ईसापूर्व के आसपास आर्यों का आगमन पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों के मार्फत भारत में हुआ। आर्यों का निवास स्थान कैस्पियन सागर के पूर्वी तथा उत्तरी हिस्सों में माना जाता है जहाँ से वे इसी समय के करीब ईरान, यूरोप और भारत की ओर चले गए थे। सन् 543 ईसापूर्व में पाकिस्तान का अधिकांश इलाका ईरान (फारस) के हखामनी साम्राज्य के अधीन आ गया। लेकिन उस समय इस्लाम का उदय नहीं हुआ था; ईरान के लोग जरदोश्त के अनुयायी थे और देवताओं की पूजा करते थे। सन् 330 ईसापूर्व में मकदूनिया (यूनान) के विजेता सिकंदर ने दारा तृतीय को तीन बार हराकर हखामनी वंश का अंत कर दिया। इसके कारण मिस्र से पाकिस्तान तक फैले हखामनी साम्राज्य का पतन हो गया और सिकंदर पंजाब तक आ गया। ग्रीक स्रोतों के मुताबिक उसने सिंधु नदी के तट पर भारतीय राजा पुरु (ग्रीक - पोरस) को हरा दिया। पर उसकी सेना ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया और वह भारत में प्रवेश किये बिना वापस लौट गया। इसके बाद उत्तरी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में यूनानी-बैक्ट्रियन सभ्यता का विकास हुआ। सिकंदर के साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बाँट लिया। सेल्युकस निकेटर सिकंदर के सबसे शक्तिशाली उत्तराधिकारियों में से एक था।
मौर्यों ने 300 ईसापूर्व के आसपास पाकिस्तान को अपने साम्राज्य के अधीन कर लिया। इसके बाद पुनः यह ग्रीको-बैक्ट्रियन शासन में चला गया। इन शासकों में सबसे प्रमुख मिनांदर ने बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया। पार्थियनों के पतन के बाद यह फारसी प्रभाव से मुक्त हुआ। सिंध के राय राजवंश (सन् 489-632) ने इसपर शासन किया। इसके बाद यह उत्तर भारत के गुप्त और फारस के सासानी साम्राज्य के बीच बँटा रहा।
सन् 712 में फारस के सेनापति मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध के राजा को हरा दिया। यह फारसी विजय न होकर इस्लाम की विजय थी। बिन कासिम एक अरब था और पूर्वी ईरान में अरबों की आबादी और नियंत्रण बढ़ता जा रहा था। हालाँकि इसी समय केंद्रीय ईरान में अरबों के प्रति घृणा और द्वेष बढ़ता जा रहा था पर इस क्षेत्र में अरबों की प्रभुसत्ता स्थापित हो गई थी। इसके बाद पाकिस्तान का क्षेत्र इस्लाम से प्रभावित होता चला गया। पाकिस्तानी सरकार के अनुसार इसी समय 'पाकिस्तान की नींव' डाली गई थी। इसके 1192 में दिल्ली के सुल्तान पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद ही दिल्ली की सत्ता पर फारस से आए तुर्कों, अरबों और फारसियों का नियंत्रण हो गया। पाकिस्तान दिल्ली सल्तनत का अंग बन गया।
सोलहवीं सदी में मध्य-एशिया से भाग कर आए हुए बाबर ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया और पाकिस्तान मुगल साम्राज्य का अंग बन गया। मुगलों ने काबुल तक के क्षेत्र को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। अठारहवीं सदी के अंत तक विदेशियों (खासकर अंग्रेजों) का प्रभुत्व भारतीय उपमहाद्वीप पर बढ़ता गया। सन् 1857 के गदर के बाद संपूर्ण भारत अंग्रेजों के शासन में आ गया।
अंग्रेजों के शासन काल में, खासकर पंजाब में कई विरोध आंदोलन हुए। इस दौरान पंजाब और सिंध में अच्छी खासी हिंदू आबादी थी। पर जनतंत्र की मांग को लेकर और मुस्लिमों के अल्पमत में होने के कारण अलग मुस्लिम राष्ट्र की मांग होने लगी। पहले सन् 1930 में शायर मुहम्मद इकबाल ने भारत के उत्तर-पश्चिमी चार प्रांतों -सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफगान (सूबा-ए-सरहद)- को मिलाकर एक अलग राष्ट्र की मांग की थी। 1947 अगस्त में भारत के विभाजन के फलस्वरूप पाकिस्तान का जन्म हुआ। उस समय पाकिस्तान में वर्तमान पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों सम्मिलित थे। सन् 1971 में भारत के साथ हुए युद्ध में पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा (जिसे उस समय तक पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था) बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र हो गया।
↑ "Pakistan: The lesser-known histories of an ancient land". मूल से 10 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 सितंबर 2018.