शिमला भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के शिमला ज़िले में स्थित एक नगर है। यह राज्य की राजधानी और सबसे बड़ा नगर है। यह शिमला ज़िले का मुख्यालय भी है। सन् 1864 से 1947 में भारत की स्वतंत्रता तक यह भारत में ब्रिटिश राज की ग्रीष्मकालीन राजधानी था। शिमला उत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशन में से एक है और इसे "पहाड़ों की रानी" भी कहा जाता है।
वर्तमान शिमला नगर जहाँ स्थित है, वह तथा उसके आस-पास का अधिकांश क्षेत्र 18 वीं शताब्दी के अंत तक घने वनों से भरा हुआ था। पूरे क्षेत्र में बसावट के नाम पर केवल जाखू मन्दिर तथा इसके इर्द-गिर्द स्थित कुछ बिखरे हुए घर ही थे।[1] श्यामला देवी, जिन्हें देवी काली का एक अवतार माना जाता है, के नाम पर ही इस क्षेत्र का नाम 'शिमला' रखा गया था।[2] क्षेत्र पर 1806 में नेपाल के भीमसेन थापा ने आक्रमण कर कब्जा कर लिया था। तत्प्श्चात ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने गोरखा युद्ध (1814-16) में नेपाल पर विजय प्राप्त करने के बाद सुगौली संधि के अंतर्गत इस क्षेत्र पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया। 30 अगस्त 1817 को इस क्षेत्र का सर्वेक्षण करने वाले गेरार्ड बंधुओं ने अपनी डायरी में शिमला को "एक मध्यम आकार का गाँव" बताया, जहाँ "यात्रियों को पानी पिलाने वाला एक फकीर रहता है।" 1819 में, लेफ्टिनेंट रॉस, जो हिल स्टेट्स में सहायक राजनीतिक एजेंट थे, ने शिमला में एक लकड़ी का कॉटेज स्थापित किया। इसके तीन साल बाद, उनके उत्तराधिकारी और स्कॉटिश सिविल सेवक चार्ल्स प्रैट कैनेडी ने 1822 में क्षेत्र में वर्तमान हिमाचल प्रदेश विधान सभा भवन के निकट क्षेत्र का पहला पक्का घर बनाया। धीरे धीरे क्षेत्र की ठंडी जलवायु, सुरम्य प्राकृतिक दृश्य, हिमाच्छादित पहाड़ियाँ, और चीड़ और देवदार के घने जंगल भारतीय गर्मियों के दौरान कई ब्रिटिश अधिकारीयों को आकर्षित करने लगे। और इस प्रकार 1826 तक, कुछ अधिकारियों ने तो अपनी पूरी छुट्टियां शिमला में ही बिताना शुरू कर दिया था।
1829 में लॉर्ड कॉम्बरमियर द्वारा निर्मित छोटा शिमला से शिमला को जोड़ने वाला पुल, शिमला, 18501827 में, बंगाल के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड एम्हर्स्ट शिमला के दौरे पर आये; जहाँ वह कैनेडी हाउस में रहे। इसके एक साल बाद, भारत में ब्रिटिश सेनाओं के कमांडर-इन-चीफ लॉर्ड कॉम्बरमियर भी शिमला आये, और उसी स्थान पर रुके। अपने निवास के दौरान कॉम्बरमियर ने जाखू के पास एक तीन मील की सड़क और एक पुल का निर्माण करवाया था। 1830 में, अंग्रेजों ने केंथल और पटियाला के प्रमुखों से सोलन जिले के रवीन और कांगड़ा जिले के भारौली परगना के बदले शिमला के आस पास की जमीन का अधिग्रहण किया। इसके बाद शिमला का बहुत तेजी से विकास हुआ; 1830 में 30 घरों वाले इस नगर में 1881 में 1,141 घर बन चुके थे।[1][3] 1832 में, शिमला ने अपनी पहली राजनीतिक बैठक देखी: तत्कालीन गवर्नर-जनरल लॉर्ड बैन्टिक और महाराजा रणजीत सिंह के दूतों के बीच। कर्नल चर्चिल को लिखे एक पत्र में बेंटिक ने लिखा:[4]
“ शिमला लुधियाना से केवल चार दिनों की पैदल दूरी पर है, पहुंचने में आसान है, और हिंदुस्तान के जलते हुए मैदानों के मुकाबले एक बहुत ही स्वीकार्य पनाह साबित होता है। ”कॉम्बरमियर के उत्तराधिकारी अर्ल डलहौजी ने भी उसी वर्ष शिमला का दौरा किया। इस समय तक तो ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल और कमांडर-इन-चीफ नियमित रूप से शिमला आने-जाने लगे थे। इन लोगों के साथ मिलने जुलने के लिए कई युवा ब्रिटिश अधिकारी इस क्षेत्र में जाने लगे; और फिर उनके पीछे पीछे कई महिलाओं ने भी अपने रिश्तेदारों के लिए शादी के गठजोड़ की तलाश में शिमला आना शुरू किया। इस प्रकार शिमला पार्टियों और अन्य उत्सवों के लिए प्रसिद्ध हिल स्टेशन बन गया। इसी समय में उच्च वर्ग के परिवारों के विद्यार्थियों के लिए पास के क्षेत्र में आवासीय विद्यालय स्थापित किए गए। 1830 के दशक के अंत तक, शहर थिएटर और कला प्रदर्शनियों का केंद्र भी बन गया। आबादी बढ़ने के साथ-साथ, शहर भर में कई बंगले बनाए गए, और कस्बे में एक बड़ा बाजार स्थापित किया गया। बढ़ती यूरोपीय आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़ी संख्या में भारतीय व्यापारी, मुख्य रूप से सूद और पारसी समुदायों से, इस क्षेत्र में पहुंचने लगे। 9 सितंबर 1844 को क्राइस्ट चर्च की नींव रखी गई थी। इसके बाद, कई सड़कों को चौड़ा किया गया और 1851-52 में 560 फीट की एक सुरंग वाली हिंदुस्तान-तिब्बत सड़क का निर्माण किया गया। यह सुरंग, जिसे अब धल्ली सुरंग के रूप में जाना जाता है, 1850 में एक मेजर ब्रिग्स द्वारा शुरू की गई थी और 1851-52 की सर्दियों में पूरी हुई थी।[5] 1857 के विद्रोह से शहर के यूरोपीय निवासियों में खलबली मच गई, हालाँकि शिमला विद्रोह से अप्रभावित रहा था।[1]
1887-1889 के मध्य शिमला के निचले बज़ार का दृश्य1863 में, भारत के तत्कालीन वायसराय, जॉन लॉरेंस ने ब्रिटिश राज की ग्रीष्मकालीन राजधानी को शिमला में स्थानांतरित करने का फैसला किया।[1] इस तथ्य के बावजूद कि कलकत्ता और इस अलग केंद्र के बीच 1,000 मील की दूरी थी, उन्होंने एक वर्ष में दो बार प्रशासन को स्थानांतरित करने की परेशानी उठाने का निर्णय लिया।[6] लॉर्ड लिटन (भारत के वायसराय; 1876-1880) ने 1876 में शहर की योजना बनाने के प्रयास किए, जब वह पहली बार किराए के घर में रहे। उन्होंने ही ऑब्जर्वेटरी हिल पर बनाए गए वायसेग्रल लॉज के लिए योजना शुरू की। "अपर बाजार" नामक जिस क्षेत्र (जिसे आजकल द रिज के नाम से जाना जाता है[7]) में मूल भारतीय आबादी रहती थी, एक आग की घटना की वजह से काफी प्रभावित हो गया। इसे ही यूरोपीय शहर का केंद्र बनाने की पूर्वी छोर की योजना के कारण बचे खुचे भारतीय लोगों को निचले इलाकों पर मध्य और निचला बाज़ारों में जाने के लिए मजबूर कर दिया गया। इसके बाद ऊपरी बाजार को साफ कर लाइब्रेरी और थिएटर जैसी कई सुविधाओं वाले पुलिस और सैन्य स्वयंसेवकों के साथ-साथ नगरपालिका प्रशासन के लिए एक टाउन हॉल का निर्माण किया गया था।
गोरखा युद्ध के बाद सैनिक टुकड़ियों के सुरक्षित जगह पर आराम के लिये 1819 में शिमला की स्थापना की गई थी। शिमला इन्हीं कारणों से यह भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था। 1864 में शिमला को अंग्रेजों की राजधानी बनाया गया था। शिमला एक पर्यटक स्थल के रूप में भी मशहूर है। शिमला की खोज अंग्रेजों ने सन् 1819 में की थी। चार्ल्स कैनेडी ने यहाँ पहला ग्रीष्मकालीन घर बनाया था। जल्दी ही शिमला लॉर्ड विलियम बेन्टिन्क की नज़रों में आ गया, जो कि 1828 से 1835 तक भारत के गवर्नर जनरल थे। १९ वीं सदी के अतं में यहाँ ब्रिटिश वाइसरॉय के आवास (राष्ट्रपति निवास) का निर्माण हुआ था। आजकल इसमें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी है।[8]
↑ अ आ इ ई Vipin Pubby (1996). Shimla Then and Now. Indus Publishing. पपृ॰ 17–34. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7387-046-0. मूल से 27 जून 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 August 2013. ↑ सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; hpshimla.nic.in नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। ↑ Harrop, F. Beresford (1925). Thacker's new Guide to Simla. Simla: Thacker, Spink & Co. पपृ॰ 16–19. ↑ Researches and Missionary Labours Among the Jews, Mohammedans, and Other Sects By Joseph Wolff, published by O. Rogers, 1837 ↑ "Shimla A five-tunnel town". tribuneindia.com. मूल से 21 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 August 2015. ↑ Charles Allen, Kipling Sahib, London, Little Brown, 2007 ↑ Hari Sud (2013). Entrepreneurs of British Shimla. Lulu. पपृ॰ 73–74. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-304-11357-3. मूल से 22 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 August 2015. ↑ "History of the Institute". Indian Institute of Advanced Study. मूल से 23 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 नवंबर 2015.
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