मॉरिशस
मॉरीशस गणराज्य (अंग्रेज़ी: Republic of Mauritius, फ़्रांसीसी : République de Maurice), अफ्रीकी महाद्वीप के तट के दक्षिणपूर्व में लगभग 900 किलोमीटर की दूरी पर हिंद महासागर में और मेडागास्कर के पूर्व में स्थित एक द्वीपीय देश है। मॉरीशस में हिंदुओं की आबादी तीसरे नंबर पर है दुनिया में मॉरीशस द्वीप के अतिरिक्त इस गणराज्य मे, सेंट ब्रेंडन, रॉड्रीगज़ और अगालेगा द्वीप भी शामिल हैं। दक्षिणपश्चिम में 200 किलोमीटर पर स्थित फ्रांसीसी रीयूनियन द्वीप और 570 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित रॉड्रीगज़ द्वीप के साथ मॉरीशस मस्कारेने द्वीप समूह का हिस्सा है। मारीशस की संस्कृति, मिश्रित संस्कृति है, जिसका कारण पहले इसका फ्रांस के आधीन होना तथा बाद में ब्रिटिश स्वामित्व में आना है। मॉरीशस द्वीप विलुप्त हो चुके डोडो पक्षी के अंतिम और एकमात्र घर के रूप में भी विख्यात है।
मॉरीशस के सबसे पुराने अभिलेख लगभग 10 वीं शताब्दी की शुरुआत के हैं जो द्रविड़ (तमिल) और औस्ट्रोनेशी नाविकों के संदंर्भ से आते है। पुर्तगाली नाविकों पहले पहल यहाँ 1507 में आये और उन्होने इस निर्जन द्वीप पर एक यात्रा अड्डा स्थापित किया और फिर इस द्वीप को छोड़ कर चले गये। सन् 1598 में हॉलैंड के तीन पोत जो मसाला द्वीप (स्पाइस आइलैंड) की यात्रा पर निकले थे एक चक्रवात के दौरान रास्ता भटक कर यहाँ पहुँच गये। उन्होने इस द्वीप का नाम अपने नासाओ के युवराज मॉरिस के सम्मान में मॉरिशस रख दिया। सन्1638 में, डच लोगों ने यहाँ पहली स्थायी बस्ती बसाई। चक्रवातों वाली कठोर जलवायु परिस्थितियों और बस्ती को होने वाले लगातार नुक्सान के कारण डचो ने कुछ दशकों बाद इस द्वीप को छोड़ दिया। फ्रांस, जिसका पहले से ही इसके पड़ोसी आइल बॉरबोन (अब रीयूनियन) द्वीप पर नियंत्रण था ने सन् 1715 में मॉरीशस पर कब्ज़ा कर लिया और इसका नाम बदलकर – आइल दे फ्रांस (फ्रांस का द्वीप) रख दिया। फ्रांस के शासन मे, यह द्वीप एक समृद्ध अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित हुआ जो चीनी उत्पादन पर आधारित थी। यह आर्थिक परिवर्तन गवर्नर (राज्यपाल) फ्रेंकॉएस माहे दे लेबॉर्डॉनाइस के द्वारा शुरू किया गया था।
ब्रिटेन के साथ अपने कई सैन्य संघर्षों के दौरान, फ्रांस ने गैरकानूनी घोषित जलदस्युओं "कोर्सेर्स" को शरण दी, जो अक्सर ब्रिटिश जहाजो, जिन पर मूल्यवान व्यापार का माल लदा होता था को उनकी भारत और ब्रिटेन के मध्य होने वाली यात्राओं के दौरान लूट लेते थे। सन् 1803-1815 के दौरान हुए नेपोलियन युद्धों में ब्रिटिश इस द्वीप का नियंत्रण पाने में सफल हो गये। ग्रांड पोर्ट की लड़ाई जीतने के बावजूद, जो कि नेपोलियन की ब्रिटिशों पर एकमात्र समुद्री विजय थी, फ्रांसीसी, तीन महीने बाद, केप मैलह्युरॉ में ब्रिटेन से हार गये। उन्होनें औपचारिक रूप से 3 दिसम्बर 1810 को कुछ शर्तों के साथ समर्पण कर दिया, ये शर्तें थीं, कि द्वीप पर फ्रांसीसी भाषा का प्रयोग जारी रहेगा और आपराधिक मामलों में नागरिकों पर फ्रांस का कानून लागू होगा। ब्रिटिश शासन के अंतर्गत, इस द्वीप का नाम बदलकर वापस मॉरीशस कर दिया गया।
सन् 1965 में, ब्रिटेन (यूनाइटेड किंगडम) ने चागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस से अलग कर दिया। उन्होने ऎसा ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र स्थापित करने के लिये किया जिससे वे सामरिक महत्व के द्वीपों का प्रयोग संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ रक्षा सहयोग के विभिन्न प्रयोजनों के लिए कर सकें। हालाँकि मॉरीशस की तत्कालीन सरकार उनके इस कदम से सहमत थी पर बाद की सरकारों ने उनके इस कदम को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध बताया है[तथ्य वांछित] और इन द्वीप समूहों पर अपना अधिकार जताया है। उनके इस दावे को, संयुक्त राष्ट्र द्वारा भी मान्यता दी गयी है[तथ्य वांछित]।
मॉरीशस ने 1968 में स्वतंत्रता प्राप्त की और देश सन् 1992 में एक गणतंत्र बना। मॉरीशस एक स्थिर लोकतंत्र है जहाँ नियमित रूप से स्वतंत्र चुनाव होते हैं और मानवाधिकारों के मामले में भी देश की छवि अच्छी है, इसके चलते यहाँ काफी विदेशी निवेश हुआ है और यह देश अफ्रीका में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाले देशों में से एक है।
नई टिप्पणी जोड़ें